कैसे आकाश में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों
पश्चिम बंगाल की जलपाईगुड़ी की रहने वाली स्वप्ना बर्मन उन्हीं कुछ लोगों में शामिल हैं जिन पर दुष्यंत कुमार की लिखी उपरोक्त पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती है । एशियन गेम्स हेप्टाथलॉन में पहली बार भारत को गोल्ड दिलाने वाली स्वप्ना बर्मन कभी मुश्किलों से हार नहीं मानती । आर्थिक रूप से बेहद कमजोर परिवार में जन्मी स्वप्ना के लिए बड़ा खिलाड़ी बनने का सपना आसमां में सुराख करने की तमन्ना जैसा ही रहा है । रिक्शा चालक रहे पिता और चाय बागान में काम करने वाली मां के अलावा स्वप्ना के घर में भाई, भाभी और बहने हैं । पिता पिछले लगभग 5 साल से बिस्तर पर पड़े हैं और घर में कोई भी सदस्य नियमित आय पाने वाली नौकरी नहीं करता । स्वप्ना ही अपने घर की ज्यादातर जिम्मेदारियां संभालती है । स्वप्ना की कहानी उन सबके लिए प्रेरणास्त्रोत है जो हालात के आगे झुक जाते हैं ।

Swapna Burman with Prime Minister Narendra Modi
स्वप्ना एक सामान्य एथलीट नहीं है बल्कि स्वप्ना के दोनों पैरों में छह-छह उंगलिया हैं, आम लोगों को इससे दिक्कत ना के बराबर होती है लेकिन एथलीट पांच उंगलियों की जगह वाले सामान्य जूतों में छह उंगलियों के साथ दौड़ नहीं लगा सकता । स्वप्ना को इसकी वजह से हमेशा दिक्कतें आती रही हैं । परिवार के पास कभी इतने पैसे नहीं थे कि स्वप्ना के लिए विशेष जूते बनवाए जा सकते । एक एथलीट को खान-पान का भी ख्याल रखना होता है लेकिन स्वप्ना को आर्थिक तंगी की वजह से ये सब नहीं मिल पाता था । शुरुआत में स्वप्ना के पास प्रैक्टिस के लिए ज़रूरी बेसिक सुविधाएं भी मौजूद नहीं थीं लिहाज़ा पिता की मदद से स्वप्ना ने बांस की बल्लियां लगाकर हाई जंप की प्रैक्टिस की । 2011 और 2012 में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया से खारिज होने के बाद तीसरी बार में स्वप्ना को यहां दाखिला मिल सका । तमाम चुनौतियों से लड़ते हुए स्वप्ना ने 2017 में दिल्ली में हुए पटियाला फेडरेशन कप में गोल्ड मेडल जीता, इसी साल ओडिशा में हुए एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी स्वप्ना गोल्ड जीतने में कामयाब रही थीं ।

Swapna after her win in Jakarta Asian Games
एशियन गेम्स में हेप्टाथलॉन की जिस प्रतिस्पर्धा में स्वप्ना ने गोल्ड जीता इसके तहत सात इवेंट होते हैं, 100 मीटर हर्डल, हाई जंप, शॉट पुट, लॉन्ग जंप, 200 मीटर, जेवलिन थ्रो और 800 मीटर रेस । इन सभी इवेंट में परफ़ॉर्मेंस के हिसाब से प्वाइंट्स मिलते हैं । स्वप्ना इन इवेंट्स के दौरान दांतों के दर्द से जूझ रहीं थीं, सही साइज़ के जूते नहीं होने की वजह से उनके पैरों में भी काफी तकलीफ थी लेकिन जीतने के जुनून ने स्वप्ना को हिम्मत नहीं हारने दी । अब स्वपना की नज़र ओलंपिक खेलों पर है ।