नई दिल्ली। कोरोना का संकट पूरी दुनिया में बना हुआ है, भारत कोरोना के साथ ही अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है लेकिन मुसीबत की दवाई मजबूती है। हर देशवासी अब इस संकल्प से भी भरा हुआ है कि इस आपदा को अवसर में परिवर्तित करना है, इसे हमें देश का बहुत बड़ा टर्निंग पॉइंट भी बनाना है। यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
#IndianChamberofCommerce thanks Hon'ble @PMOIndia Narendra Modi for sharing his vision at our Live Session. We also thank all the viewers who participated through registration.@MJKeventer @rajeevstyagi pic.twitter.com/uOussowisz
— ICC (@indianchamber15) June 11, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन की प्रमुख बातें
आईसीसी का योगदान
इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) ने 1925 में अपने गठन के बाद से आज़ादी की लड़ाई को देखा है, भीषण अन्न संकटों को देखा है। 95 वर्ष से निरंतर देश की सेवा करना, किसी भी संस्था या संगठन के लिए अपने आप में बहुत बड़ी बात होती है। आईसीसी ने पूर्वी भारत और नार्थ ईस्ट के डेवलपमेंट में जो योगदान दिया है, विशेषकर वहाँ की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स को, वो ऐतिहासिक है।
मन के हारे हार, मन के जीते जीत
हमारे यहाँ कहा जाता है- मन के हारे हार, मन के जीते जीत, यानि हमारी संकल्पशक्ति, हमारी इच्छा शक्ति ही हमारा आगे का मार्ग तय करती है। जो पहले ही हार मान लेता है उसके सामने नए अवसर कम ही आते हैं। लेकिन जो जीत के लिए निरंतर प्रयास करता है,एक दूसरे का साथ देते हुए, आगे बढ़ता है, उसके सामने नए अवसर भी उतने ही ज्यादा आते हैं।
ये हमारी एकजुटता, ये एक साथ मिलकर बड़ी से बड़ी आपदा का सामना करना, ये हमारी संकल्पशक्ति, ये हमारी इच्छाशक्ति, एक राष्ट्र के रूप में हमारी बहुत बड़ी ताकत है।
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आत्मनिर्भर भारत
बीते 5-6 वर्षों में, देश की नीति और रीति में भारत की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य सर्वोपरि रहा है। अब कोरोना क्राइसिस ने हमें इसकी गति और तेज़ करने का सबक दिया है। इसी सबक से निकला है- आत्मनिर्भर भारत अभियान।
हम देखते हैं, परिवार में भी संतान-बेटा हो या बेटी, 18-20 साल का हो जाता है, तो हम कहते हैं कि अपने पैरों पर खड़े रहना सीखो। एक तरह से आत्मनिर्भर भारत का पहला पाठ, परिवार से ही शुरू होता है। भारत को भी अपने पैरों पर ही खड़े होना होगा।
आत्म निर्भर भारत अभियान का सीधा सा मतलब है कि भारत, दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम से कम करे। अब अपने लोकल के लिए वोकल होने का समय है, हर गांव, हर कस्बे, हर जिले, हर प्रदेश, पूरे देश को आत्मनिर्भर करने का समय है।
स्थानीय उत्पाद के हिसाब से क्लस्टर
लोकल प्रोडक्ट्स के लिए जिस क्लस्टर बेस्ड अप्रोच को अब भारत में बढ़ावा दिया जा रहा है, उसमें भी सभी के लिए अवसर ही अवसर है। जिन जिलों और ब्लॉक्स में जो पैदा होता है, वहीं आसपास इनसे जुड़े क्लस्टर विकसित किए जाएँगे। जैसे पश्चिम बंगाल के जूट किसानों के लिए पास में ही जूट आधारित उद्योगों को और मज़बूती दी जाएगी।
वन उत्पाद की अपार संपदा जुटाने वाले आदिवासी साथियों को उनके क्षेत्र में ही आधुनिक प्रोसेसिंग यूनिट्स उपलब्ध कराई जाएगी। सिक्किम की तरह पूरा नॉर्थ ईस्ट, ऑर्गेनिक खेती के लिए बहुत बड़ा हब बन सकता है। ऑर्गेनिक कैपिटल बन सकता है।
नॉर्थ ईस्ट में ऑर्गेनिक फार्मिंग
आईसीसी के साथ जुड़े आप सभी व्यापारी, ठान लें तो नॉर्थ ईस्ट में ऑर्गेनिक फार्मिंग बहुत बड़ा आंदोलन बन सकता है, आप उसकी ग्लोबल पहचान बना सकते हैं, ग्लोबल मार्केट पर छा सकते हैं। सरकार ने जो तमाम कदम उठाए हैं, इनका बहुत बड़ा लाभ ईस्ट और नार्थ ईस्ट के लोगों को होगा।
आईसीसी अपने लक्ष्य तय करे
5 साल बाद, यानि वर्ष 2025 में आपकी संस्था अपने 100 वर्ष पूरे करने जा रही है। वहीं वर्ष 2022 में देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। ये आपकी संस्था के लिए, आपके प्रत्येक सदस्य के लिए बेहतरीन समय है एक बड़ा संकल्प लेने का। मेरा आपसे आग्रह है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को चरितार्थ करने के लिए आईसीसी भी अपने स्तर पर 50-100 नए लक्ष्य तय करे।
ये लक्ष्य संस्था के भी हों, इससे जुड़े हर उद्योग और व्यापारिक इकाई के भी हों और हर व्यक्ति के भी हों। आप जितना अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ेंगे, उतना ही ये अभियान पूर्वी भारत में, नॉर्थ ईस्ट में आगे बढ़ेगा।
मुझे पूरा विश्वास है कि जब आप अपनी स्थापना के 100 वर्ष का समारोह मनाएंगे, जब देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा, तो आत्मनिर्भर भारत के मार्ग पर हमारा देश काफी आगे बढ़ चुका होगा।