लखनऊ । उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (एसपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के गठबंधन के सदमे से कांग्रेस अभी तक उबर नहीं सकी है। हालांकि, प्रदेश में मायावती-अखिलेश के महागठबंधन ने कांग्रेस के लिए दो सीटों अमेठी और रायबरेली पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारने का ऐलान किया था।
एसपी-बीएसपी से जुड़ने में जुटी हैं कांग्रेस
एसपी, बीएसपी के इस झटके से कांग्रेस अभी भी खुद को संभालने की कोशिश कर रही है। राहुल गांधी प्रदेश के मतदाताओं को यह संदेश देने में जुटे हैं कि बीजेपी को हराना ही, हम सभी राजनीतिक दलों का मकसद है। अपने राजनीतिक फायदे को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ऐसी बातों के जरिए, खुद को एसपी और बीएसपी के साथ जोड़ने में जुटी है। इतना ही नहीं, राहुल गांधी ने प्रदेश की 7 सीटों पर एसपी और बीएसपी के ख़िलाफ़ अपना उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला भी ले लिया।
जिला स्तर पर भी बीएसपी और एसपी की होगी साझी रणनीति
मायावती-अखिलेश का पलटवार
राहुल गांधी की इस पहल पर सहानुभूति दिखाने की बजाय मायावती ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस 7 सीटें छोड़ने का भ्रम न फैलाए और वह (कांग्रेस) राज्य की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने को स्वतंत्र है।
मायावती के इस कदम का एसपी अध्यक्ष अखिलेश ने भी समर्थन किया। अखिलेश ने मायावती के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि यूपी में एसपी-बीएसपी-आरएलडी का गठबंधन बीजेपी को हराने में सक्षम है।
कांग्रेस की हालत ‘ले दही’ जैसी
कांग्रेस की ऐसी हालत पर उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और चंदौली से सांसद महेंद्रनाथ पांडेय ने कहा कि कांग्रेस की स्थिति ‘ले दही..’ जैसी हो गई है। महेंद्रनाथ पांडेय का कहना है कि उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में ‘दे दही-ले दही’ की कहावत बहुत लोकप्रिय है। पांडेय का कहना है कि जब दही ताज़ी और शुद्ध रहती है तो हर कोई कहता है कि ‘दे दही..’ लेकिन जब यही दही बासी और खट्टी होकर फेंकने जैसी हो जाती है तो फिर सभी लोग बोलते हैं ‘ले दही..’। महेंद्रनाथ पांडेय का कहना है कि कांग्रेस की हालत भी उसी बासी और खट्टी दही जैसी हो गई है जिसे कोई नहीं लेना चाहता।