पटना | बिहार में तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट तेज हो गई है । दिल्ली में महागठबंधन की बैठक में वामपंथी नेताओं को नहीं बुलाए जाने के बाद ये नाराज़ चल रहे हैं । इसके बाद ही ये कयास लगने शुरू हो गए हैं वामपंथी दल तीसरे मोर्चे की भूमिका में नज़र आ सकते हैं ।
इससे पहले भी राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव के घर पर हुई बैठक में वामपंथी दलों के नेताओं को नहीं बुलाया गया था । हालांकि आरजेडी ने वामपंथी दलों को आरा लोकसभा सीट की पेशकश की है जो इन्हें मंजूर नहीं है ।
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बिहार में हालांकि वामपंथी दलों का अब कोई वजूद नहीं रह गया है । कुछ सीटें ऐसी हैं जहां इनका जनाधार बचा हुआ है । माना जाता है कि वामपंथी दल अब भी बिहार की आरा, सीवान, बेगूसराय, पाटलीपुत्र, काराकाट, उजियारपुर और मधुबनी जैसी सीटो पर अपना प्रभाव रखते हैं ।
पिछले चुनाव में अलग -अलग लड़ा था चुनाव
पिछले लोकसभा चुनाव में वाम दलों में एकता नहीं थी, जिस वज़ह से सीपीआई और सीपीएम ने अपने-अपने प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा था। इस चुनाव में वाम दल साथ हैं, और ऐसे में उनकी ताकत को नकारा नहीं जा सकता है।
सीपीआई के राज्य सचिव कुणाल के मुताबिक, कई दौर की बातचीत के बाद भी सीटों के बंटवारे को लेकर बात नहीं बनी है, मगर बातचीत जारी है। कुणाल कहते हैं, “कोई भी वामपंथी दल महागठबंधन का हिस्सा नहीं है। लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर करार नहीं हुआ, तो वाम दल एकजुटता के साथ चुनाव लड़ेंगे, जिसकी तैयारी भी है।”
बिहार में बीएसपी सभी 40 सीटों पर लड़ेगी चुनाव
सीपीएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने साफ किया है कि महागठबंधन में सीपीएम को दर किनार करके सीटों का बंटवारा नहीं हो सकता। सीपीएम 6 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है । अवधेश कुमार साफ करते हैं कि अगर महागठबंधन में सीटों को लेकर सम्मानजनक समझौता नहीं होता है तो सारी लेफ्ट पार्टियां एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगीं ।
हालांकि आरजेडी अभी भी वामपंथी दलों को साथ लाने की रणनीति पर काम कर रही है । आरजेडी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी के मुताबिक महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बात चल रही है और लेफ्ट पार्टीज़ को नज़रअंदाज नहीं किया जाएगा ।
लेफ्ट पार्टियों ने बिहार में अपना वजूद दिखाने की कोशिशें पिछले साल ही शुरू कर दी थीं जब सीपीआईएमएल ने गांधी मैदान में भाजपा भगाओ रैली का आयोजन किया था । दावा किया गया कि इस रैली में 70 से 80 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया । सीपीआई, सीपीएम, एसयूसीआई के साथ-साथ लेफ्ट से जुड़े बाकी संगठनों ने इसमें हिस्सा लिया था । आरजेडी ने भी इस रैली का समर्थन किया था ।