जेनेवा। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) यह साफ़ कर चुकी है कि कोरोना संकट अभी ख़त्म होने से दूर है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक “आने वाले महीनों में देशों के लिए सबसे अहम सवाल यही होगा कि इस वायरस के साथ किस तरह से जिया जाए. यही नई सामान्य स्थिति है।” देश और दुनिया में फैली इस महामारी के बीच अब सबसे बड़ा संकट यही है कि इस वायरस के साथ जीने की आदत कैसी डाली जाए? विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने के लिए सभी देशों को पाँच प्राथमिकताएँ तय करने के लिए कहा है:
जीवन रक्षा के पाँच तरीक़े
– अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए लोगों को सशक्त बनाना (सुरक्षा के लिए शारीरिक दूरी बरते जाने सहित अन्य स्वास्थ्य उपायों का पालन करना, मास्क पहनना, भरोसेमंद स्रोत से सूचना प्राप्त करना),
– वायरस के फैलाव पर क़ाबू पाने के प्रयास जारी रखना और संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों के बारे में जानकारी हासिल करके उन्हें एकान्तवास में रखने की व्यवस्था करना,
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– जल्द से जल्द संक्रमण के मामलों का पता लगाना, संक्रमित लोगों को चिकित्सा देखभाल मुहैया कराना और स्वास्थ्य जोखिम वाले समूहों, जैसे कि वृद्धजन और नर्सिंग होम में रह रहे लोगों की स्वास्थ्य रक्षा के लिए प्रयास करना,
– रिसर्च की गति को बढ़ाया जाना क्योंकि अभी इस वायरस के बारे में बहुत कुछ सीखा जाना बाक़ी है,
– संक्रमण के फैलाव पर क़ाबू पाने, ज़िंदगियाँ बचाने और सामाजिक व आर्थिक असर को कम करने के लिए व्यापक रणनीति में राष्ट्रीय एकता और वैश्विक एकजुटता को सुनिश्चित करना।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के इन दिशा निर्देशों के बीच, अब यह देश और दुनिया के देशों को तय करना है कि कोविड-19 कोरोनावायरस के साथ लोगों को जीने का तरीका सिखाया जाए। इस महामारी के फैलाव को रोकने के लिए कुछ सख्त कदम उठाने की भी ज़रूरत है ताकि देश का हर नागरिक कोविड-19 से जुड़ी सावधानियों को लेकर सावधान रहे और इससे जुड़े नियमों का पालन करे।